खड़कपुर ऐतिहासिक वर्कशॉप की पूरी कहानी पढ़िए |
खड़कपुर ऐतिहासिक वर्कशॉप की पूरी कहानी पढ़िए |खड़गपुर वर्कशॉप भारतीय रेलवे की धड़कन है। यह न केवल देश की सबसे बड़ी रेल रखरखाव कार्यशाला है, बल्कि अपने गौरवशाली इतिहास और अत्याधुनिक सुविधाओं के लिए भी जानी जाती है। आइए, इस लेख में हम खड़गपुर वर्कशॉप के इतिहास और उसके गौरवशाली सफर पर एक नजर डालते हैं। खड़कपुर ऐतिहासिक वर्कशॉप की पूरी कहानी पढ़िए |
औपनिवेशिक काल से आत्मनिर्भर भारत तक (From Colonial Era to Self-Reliant India)
1898 में स्थापित खड़गपुर वर्कशॉप की जड़ें औपनिवेशिक काल में हैं। उस समय बंगाल नागपुर रेलवे (BNR) ब्रिटिश शासन के अधीन कार्यरत थी। कार्यशाला की स्थापना का मुख्य उद्देश्य रेलवे के दैनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए भाप के इंजनों और वैगनों का बुनियादी रखरखाव करना था। खड़कपुर ऐतिहासिक वर्कशॉप की पूरी कहानी पढ़िए |
खड़गपुर वर्कशॉप: भारतीय रेल का गौरव (Kharagpur Workshop: The Pride of Indian Railways)
स्वतंत्रता के बाद, भारतीय रेलवे के तेजी से विस्तार और स्वदेशीकरण पर जोर दिया गया। इसी के अनुरूप खड़गपुर वर्कशॉप का भी विकास हुआ। कार्यशाला ने न केवल अपनी मरम्मत क्षमता का विस्तार किया बल्कि विभिन्न प्रकार के इंजनों और डिब्बों को संभालने में भी दक्षता हासिल की।
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1903: भाप के इंजनों का पूर्ण ओवरहालिंग (POH) शुरू हुआ। यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, जिसने कार्यशाला को अधिक जटिल मरम्मत कार्य करने में सक्षम बनाया।खड़कपुर ऐतिहासिक वर्कशॉप की पूरी कहानी पढ़िए |
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1917: कोच और वैगनों का POH शुरू हुआ। इससे रेलवे को अपने रोलिंग स्टॉक के रखरखाव पर अधिक नियंत्रण रखने में मदद मिली।
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1963: भारतीय रेलवे के डीजलीकरण के साथ, खड़गपुर वर्कशॉप ने 1963 में डीजल लोकोमोटिव का POH शुरू किया। यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
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1985: विद्युतीकरण के युग में प्रवेश करते हुए, कार्यशाला ने 1985 में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव और EMU का POH शुरू किया।
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